लेखनी कहानी -07-Mar-2022विदाई
बेटी की विदाई (कविता)
मेहंदी महावर तन पे सजा के ,
बिटिया तो ससुराल चली ।
मात पिता के घर की चिड़िया ,
सज धज के ससुराल चली।
नाजो से जिसको पाला मां ने,
देखो वो पी के घर चली ।
दिल में दुआएं मात पिता के ,
आंखों से नदिया बहती चली ।
दर्द वो दिल का कैसे कहे अब ,
लाडो उसकी अब छोड़ चली।
बचपन की उन गलियों से ,
अब तो वो मुंह मोड़ चली।
देख रहे हैं माता-पिता,
बचपन की उन यादों को।
जागी बिटिया के खातिर,
याद कर सारी बातों को।
बिटिया मानों जिगर का टुकड़ा,
आज पराया हो चला ।
कल तक जो मेरा था वो,
आज तुम्हारा हो चला ।
रखना इसको तुम सहेजें ,
और प्यार बहुत सा देना तुम।
हो जाए जो गलती कोई,
माफ इसे कर देना तुम ।
नन्हीं सी गुड़िया मेरी ,
भोली और नादान है।
बोल रहे ये शब्द मात-पिता ,
हृदय बहुत परेशान है।
व्यथित वेदना सह नहीं पाते ,
नैना नीर बहाते हैं।
दिल रोता है हर पल और,
हजारों से दुआ लुटाते हैं।
अपनी प्यारी लाडो को ,
आशीष बहुत दे जाते हैं।
याद में उसके माता पिता,
खून के आंसू बहाते हैं।।
21/2/22💐💐💐4:57pm
©️®️पूनम शर्मा स्नेहिल ☯️
वार्षिक प्रतिय
Dr. Arpita Agrawal
07-Mar-2022 06:53 PM
शानदार 👌👌
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